5.2.06

1 अ डेट विद नोबेल लारेट (A date with nobel Laurete)


वैसे तो जिन्दगी मे बहुत ऐसे मौके आते हैं जब हम अपने आपको भाग्यशाली समझ सकते हैं लेकिन कल का नजारा ही कुछ और था. मौका था एक लेक्चर सुनने का और हम अपने को भाग्यशाली समझ बैठे थे. समझे भी क्यों नहीं. मेरे सामने खडे थे १९८५ के भौतिकी विषय का नोबेल पुरस्कार विजेता, प्रोफ़ेसर क्लौस वौन क्लिटज़िन्ग. Prof Klaus Von Klitzing आई०आई०टी० मे रहने का यही मतलब होता है. पहले सुना करता था, कल सब कुछ सामने था. कल का मौका सबके लिए एक महत्वपुर्ण था: हमलोगों के लिए क्योंकि हम एक नोबेल पुरस्कार विजेता का लेक्चर सुन रहे थे और यह महत्वपुर्ण था प्रोफ़ेसर क्लौस वौन क्लिटज़िन्ग के लिए क्योंकि कल के ही दिन उन्होने १९८० मे जर्मनी के मैक्स प्लैंक रीसर्च प्रयोगशाला मे रात के २:०५ मिनट पर भौतिकी के एक महत्वपुर्ण घटना का खोज किया था जिसका नाम है "क्वाण्टम हाल ईफ़ेक्ट". अतः कल वह अपने अविष्कार का २६वीं वर्षगांठ मना रहे थे.
उन्होने बताया कि कैसे जब उन्होने अपने इस खोज को प्रकाशित करने के लिए अमेरिका के "फीजिकल रीव्यु" जनरल मे भेजा तो प्रधान सम्पादक ने टिप्पणी भेजा: यह लेख इस महत्वपुर्ण जरनल मे प्रकाशित होने की काबीलियत नही रखता है इसीलिए यह प्रकाशित नही हो सकता. उन्होने हम सभी को कल वह चिट्ठी भी दिखाया जो उस प्रधान सम्पादक ने उनको लिखा था. उन्होने हम सभी को वह नोटबुक (कापी) का पन्ना दिखाया जिसपर उन्होने अपने अपने अनुसन्धान का मैनुस्क्रीप्ट तैयार किया था.
लेक्चर के बाद प्रश्नोत्तर कार्यक्रम था. मैने देखा की दुनिया मे यदि ह्युमर के लिए कोइ नोबेल पुरस्कार होता तो उनको यह पुरस्कार कब के मिल चुका होता. एक मजे हुए प्रोफ़ेसर की सारी खुबीयाँ मौजुद थी उनमे. बहुत सारे प्रश्न किए गए... लेकिन मुझे वह प्रश्न बहुत अच्छा लगा जिसको एक बी०टेक० का एक छात्र पुछा था, " आप जब हमारे उम्र के थे तो बाँकी लोगों से कैसे अलग थे ?" उन्होने बताय कि बचपन मे गणित की कक्षा मे वह पुस्तक का सवाल के बदले अपना सवाल बनाते रहते थे और फिर उसको हल करते थे. इससे उनके गुरुजी इस कदर नारज थे की आगे चल कर उनको गणित विषय ही छोडना पडा और उन्होने अपना ध्यान भौतिकि विषय मे लगाया क्योंकि इस विषय मे गणित के नित्य नए प्रयोग से उनको कोइ नही रोक सकता था और जिसका परिणाम नोबेल पुरस्कार से हुआ. उन्होने अपने अनुसंधान के बहुत सी बारीकियोन को बताया जिसको लिखना यहाँ बहुत कठिन होगा.
मैं भग्यशाली समझता हूँ अपने आपको इस जीवित अवतार से मिलकर.

1 comment:

  1. बड़े लोगों के साक्षात्कार का सकारात्मक असर बहुत दिनों तक रहता है. किसी नामी आदमी को आम आदमी के रूप में देखने से कितना आत्मविश्वास मिलता है ,कहने की ज़रूरत नहीं.

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