अभीए कुछ ही दिन पहले कि बात है. हमारे पड़ोस वाले शर्मा जी के घर नया मेहमान आया. जी हां मै उनके नए कुत्ते बूजो के बारे मे बतिया रहा हूं. जाहिर सी बात है, आते ही, बूजो ने शर्मा जी के जीवन मे बहुत ही बदलाव लाए. शर्मा जी का दिनचर्या ही बदल गया. शर्मा जी जो प्रेम अपने पोते पोतीयोँ के के लिए सँजो कर रखे थे सारा बूजो के उपर उड़ेल दिए. मुआ दुनियाँ ही ऐसी है. अब क्या है कि विदेश मे रह रहे पोते पोतीयाँ तो मिलते नही शर्मा जी से तो शर्मा जी ने सोचा कोनो बात नही है, हम शर्मा वँश को चलाने के लिए बूजो का ही सहारा लेँगे. तो इसी क्रम मे बूजो का नामकरण सँस्कार किया गया और बूजो अब कहलाने लगा बूजो शर्मा.
शर्मा जी के जिन्दगी मे बहुत जल्दी ही बूजो खास मायने रखने लगा और इसका अन्योन्याश्रित असर हुआ. एक तरफ शर्मा जी खुश रहने लगे तो दूसरे तरफ बूजो मनचाहे बात शर्मा जी से मनवाने लगा. शर्मा जी कोई बात नही मानते तो बूजो रुठ जाता और हार कर अन्त मे शर्मा जी बूजो का बात मान लेते.
लेकिन इस बार तो गजबे हो गया. बूजो जो था वो ठान लिया कि वह इसबार भारतीय किरकेट कन्ट्रोल बोर्ड का सचिव बनेगा. शर्मा जी लाख मनाए लेकिन बूजो ने माना नही. औरो बात बोलता तो बात अलग थी. शर्मा जी भी बूजो का दिल दूखाना नही चाहते थी. लेकिन इस समस्या का समाधाने नही था शर्मा जी के पास. लाख चाहकर भी बेचारे शर्मा जी बूजो का जिद्द पूरा नही कर पाए. बूजो पिछले ४ दिन से खाना पीना छोड़ कर अनसन कर बैठा है. शर्मा जी अपना सिर धून रहे हैँ और रहरह कर गाँधी जी को गाली दिए जा रहे हैँ. गाँधी तो मर गए लेकिन उनका अनसन कुत्ते तक ने सीख लिया. बूजो के साथ शर्मा जी का भी हँसी गायब हो गया.
इस रविवार को शर्मा जी ने ठान ही लिया कि बूजो का अनसन तोड़वाना है. सो दो चार अड़ोसी पड़ोसी को बुला लिए और बैठ गए बूजो को मनवाने के लिए. लेकिन बूजो था कि मानता ही नही था. उसका एक ही कहना था कि जब तक वहभारतीय किरकेट कन्ट्रोल बोर्ड का सचिव नही बनेगा खाना पीना नही करेगा. पँचायत मे हम भी पहुँचे.
शर्मा जी ने बूजो को पुछना शुरु किया, " बेटा ! खाना खा ले. शरद जवार एक जीता जागता आदमी है. तू कुत्ता है! भला एक कुत्ता आदमी का जगह कैसे ले सकता है."
बूजो को इस बात पर आउरो गुस्सा गया और शर्मा जी से बोला, "वो तो ठीक है कि शरद जवार जीता जागता आदमी है, लेकिन क्या आप विश्वाश के साथ बोल सकते हैँ कि शरद जवार काम भी आदमी की तरह करता हैँ?".
शर्मा जी ने बोला, "तुम एक कुत्ता हो, हमेशा अपना दूम अपने से ताकतवर के सामने हिलाते रहते हो".
बूजो ने पुछा, "तो शरद जवार (फोनियाँ गाँधी के सामने) क्या करता है?".
शर्मा जी ने बोला, "बूजो तुम कुत्ता हो.. जिसके उपर भौँकते हो उसी के सामने दूम हिलाते हो".
बूजो ने बोला, "तो आखिर शरद जवार क्या करता है, पहले सोनियाँ गाँधी को गाली दिया आज उसी का चमचागीरी कर रहा है".
शर्मा जी बोले, "बूजो बेटे! यह भारत है और बात किरकेट की हो रही है".
बूजो तड़ाक से बोल उठा... "तो शरद जवार का किरकेट से क्या लेना देना ?".
बूजो और शर्मा जी मे बहस जारी था. समस्या का कोई समाधान होते नही देख हम वापस हो लिए...
शर्माजी को कहिये की बूजो को समझाये की वहाँ और बड़े बड़े बूजो बैठे हैं जो मौका मिलते ही इसकी वाट लगा देंगे. एक मोहल्ले का कुत्ता दूसरे मोहल्ले में चला जाए तो उस मोहल्ले के कुत्ते उसका क्या हाल करते है पता है न शर्मा जी को. बताइए उसे.
ReplyDeleteबहुत ही पैनी धार किए बैठे हो यार आप तो.....
ReplyDeleteक्या कांबीनेशन क्रिएट किया है बूजो और शरद पवार का...हम तो बूझते ही रह गए ...
उस्ताद जी मज़ा आ गया